फेसबुक के दोस्त ....... सादर अभिवादन तुम्हे........
जिन्दगी की आपाधापी में हम कभी कभी हसना भूल जाते है... एक रूटीन सी जिन्दगी... वही गृहकार्य ..वही कार्यालय...वही काम....वही माहौल ....सब कुछ......जाना पहचाना सा ..... मानो...सब आदत में शामिल ......
हमने भी फेसबुक ज्वाइन किया था...क्योंकि हमारी फॅमिली के सारे लोग इसमें थे....रात में सबसे हाय हेल्लो हो जाती थी .....अच्छा लगता था कि इतनी बिज़ी लाइफ में ...दूर रहते हुवे भी परिजन कितने करीब है..........
पर फेसबुक कि दुनिया भी अजीब है...परायो को भी अपना कर देती है.....कितने हसीन रिश्ते मिले यहाँ पर ....दोस्त ...भी मिले ...भाई भी मिले....साहित्यकार ...कवि...व्यंगकार ...रचनाकार ...पुरातत्वविद ....कार्टूनिस्ट ....नाटककार ....अभिनेता ...निर्देशक ....अच्छी महिला मित्र ....अच्छे ब्लागर .... और कुछ बेहद सामान्य सा व्यक्तित्व ... जो भीड़ में भी विशेष थे... उनसे दोस्ती हुई....नोक झोक भी हुई ...हंसी मजाक भी ..तकरार भी... पर ये सब अनुभव ...हमारे लिए यादगार .धरोहर के रूप में आजीवन सुरक्षित रहेगी.......
कल्पना भी न हो जब कोई दोस्त ऐसा मिल जाये ..जो आपकी पीड़ा को भी हंसी में तब्दील कर दे , जो हर गम और ख़ुशी में आपका साथ निभाए ...........जिसके परिवार में आप घुल मिल जाये और जो आपके परिवार का एक हिस्सा बन जाये ........... इन फेसबुक दोस्तों के शुप्रभात से आपकी सुबह हो ...इनकी शुभसंध्या से आपकी शाम हो ..इनके शुभरात्रि से आपकी रात हो................... हर छोटी बड़ी खुशियाँ आप फेसबुक में दोस्तों को बाँटने लगो.............उन पर मीठी मीठी प्रतिक्रियाये .........कितना अपनापन और सुकून मिलता है................ आप करीब होते जाते हो .....इन अपरिचित चेहरों के ..........और खबर ही नही होती कि कब , कैसे...दूर होते जा रहे हो , अपनेअपनों से ..............सुबह का नाश्ता ...चाय बाद में .....पहले वाल पर गुडमार्निंग . शाम का खाना से पहले शुभसंध्या ....रात को कितनी भी थकावट हो ...शुभरात्रि ...........दोस्त पहले ..........शेष सब .......उसके बाद..........
घर में एकुरियम में मछली को खाना देना भूल जाओ ............बच्चो के साथ वक्त बिताना भूल जाओ .. जीवनसाथी को समय कम देने लगो ............क्यों ??????? क्योंकि फेसबुक दोस्त इन सब से ज्यादा अहमियत रखने लगते है आपकी जिन्दगी में .......
हिसाब मुंशी रखते है कि क्या खोया और क्या पाया ..........पर हम तो यही कहेंगे कि इस फेसबुक से खोया कुछ भी नहीं ...पाया बहुत कुछ.... क्योंकि समय प्रबंधन के साथ हमने परिवार को भी समय पर्याप्त दिया और फेसबुक दोस्तों को भी.......... ये बात अलग है कि हमे कुछ वक्त और निकलना पड़ा ...........पर ये वक्त हमे जो दे गया है...शायद कोई ...कितना भी धनवान हो ..उसे नसीब नही हो पाए ....अनमोल पल ..खुबसूरत यादें .........
हम नही कहेंगे आपसे कि हम फेसबुक से विदा ले रहे है....हम तो यही कहेंगे कि अब कम समय दे पाएंगे अपने दोस्तों को............. सच फेसबुक एक नशा है....पर ..नशे में कितना रहना है ..ये तय तो हमे करना है ना ? फिर हम फेसबुक को दोष क्यों दे ?....
जीवन में जब कोई कमजोरी बनने लगे तो उस कमजोरी को अपनी ताकत बना लो....सामंजस्य और समझदारी से जीवन को संतुलित .....करने में कुछ कष्ट होता जरुर है.........पर आवश्यक भी है यह ....किसी अच्छे दोस्त को खो देने का गम भी होता है ...और कभी अच्छे और सच्चे दोस्त के मिलने कि ख़ुशी भी......
हकीकत तो ये है कि जिन्दगी काँटों क़ी राह है...जहा कदम कदम पर कठिन परीक्षा के अवसर आते है..परिस्थितियां हमे कई दोराहे में ला पटकती है .....हम दुविधा में होते है कि चयन किस राह की करे ..कदम किस और बढ़ाएं... दिल और दिमाग की निरंतर लड़ाई चलती है ..........कभी हम परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते है ...और कभी उन परिस्थितियों को जीत लेते है...........पर दोनों ही स्थिति में क्या हम खुश रह पाते है .
सच तो यह है की हम एक मशीन बन गये है ..जहा सभी को हमसे ढेर सारी अपेक्षाएं है....हम जब तक घर परिवार की उम्मीदों को पूरा करते रहते है .......हम बहुत अच्छे है...पर ...हम जरा सा खुश होने का प्रयास करे तो वह कई लोंगो को नागवार गुजरता है .............एक मशीन हंस कैसे सकता है ...खुश रहने का अधिकार किसने दिया उसे ...........उसे खुश रखने वाला गुनाहगार कौन है ...........खुश रहने की उसकी सजा क्या हो? कई प्रश्नचिन्ह थोप दिए जाते है उस पर ..............
युग बदल जाये ........तारीखे बदल जाये ...पर मानसिकता अभी भी वही..
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माना की यह शब्द पूर्ण रूप से मेरे द्वारा नहीं लिखे गए हैं लेकिन यह लेख मेरी ओर से बी शामिल है ....#आर्यन #ARyan
जिन्दगी की आपाधापी में हम कभी कभी हसना भूल जाते है... एक रूटीन सी जिन्दगी... वही गृहकार्य ..वही कार्यालय...वही काम....वही माहौल ....सब कुछ......जाना पहचाना सा ..... मानो...सब आदत में शामिल ......
हमने भी फेसबुक ज्वाइन किया था...क्योंकि हमारी फॅमिली के सारे लोग इसमें थे....रात में सबसे हाय हेल्लो हो जाती थी .....अच्छा लगता था कि इतनी बिज़ी लाइफ में ...दूर रहते हुवे भी परिजन कितने करीब है..........
पर फेसबुक कि दुनिया भी अजीब है...परायो को भी अपना कर देती है.....कितने हसीन रिश्ते मिले यहाँ पर ....दोस्त ...भी मिले ...भाई भी मिले....साहित्यकार ...कवि...व्यंगकार ...रचनाकार ...पुरातत्वविद ....कार्टूनिस्ट ....नाटककार ....अभिनेता ...निर्देशक ....अच्छी महिला मित्र ....अच्छे ब्लागर .... और कुछ बेहद सामान्य सा व्यक्तित्व ... जो भीड़ में भी विशेष थे... उनसे दोस्ती हुई....नोक झोक भी हुई ...हंसी मजाक भी ..तकरार भी... पर ये सब अनुभव ...हमारे लिए यादगार .धरोहर के रूप में आजीवन सुरक्षित रहेगी.......
कल्पना भी न हो जब कोई दोस्त ऐसा मिल जाये ..जो आपकी पीड़ा को भी हंसी में तब्दील कर दे , जो हर गम और ख़ुशी में आपका साथ निभाए ...........जिसके परिवार में आप घुल मिल जाये और जो आपके परिवार का एक हिस्सा बन जाये ........... इन फेसबुक दोस्तों के शुप्रभात से आपकी सुबह हो ...इनकी शुभसंध्या से आपकी शाम हो ..इनके शुभरात्रि से आपकी रात हो................... हर छोटी बड़ी खुशियाँ आप फेसबुक में दोस्तों को बाँटने लगो.............उन पर मीठी मीठी प्रतिक्रियाये .........कितना अपनापन और सुकून मिलता है................ आप करीब होते जाते हो .....इन अपरिचित चेहरों के ..........और खबर ही नही होती कि कब , कैसे...दूर होते जा रहे हो , अपनेअपनों से ..............सुबह का नाश्ता ...चाय बाद में .....पहले वाल पर गुडमार्निंग . शाम का खाना से पहले शुभसंध्या ....रात को कितनी भी थकावट हो ...शुभरात्रि ...........दोस्त पहले ..........शेष सब .......उसके बाद..........
घर में एकुरियम में मछली को खाना देना भूल जाओ ............बच्चो के साथ वक्त बिताना भूल जाओ .. जीवनसाथी को समय कम देने लगो ............क्यों ??????? क्योंकि फेसबुक दोस्त इन सब से ज्यादा अहमियत रखने लगते है आपकी जिन्दगी में .......
हिसाब मुंशी रखते है कि क्या खोया और क्या पाया ..........पर हम तो यही कहेंगे कि इस फेसबुक से खोया कुछ भी नहीं ...पाया बहुत कुछ.... क्योंकि समय प्रबंधन के साथ हमने परिवार को भी समय पर्याप्त दिया और फेसबुक दोस्तों को भी.......... ये बात अलग है कि हमे कुछ वक्त और निकलना पड़ा ...........पर ये वक्त हमे जो दे गया है...शायद कोई ...कितना भी धनवान हो ..उसे नसीब नही हो पाए ....अनमोल पल ..खुबसूरत यादें .........
हम नही कहेंगे आपसे कि हम फेसबुक से विदा ले रहे है....हम तो यही कहेंगे कि अब कम समय दे पाएंगे अपने दोस्तों को............. सच फेसबुक एक नशा है....पर ..नशे में कितना रहना है ..ये तय तो हमे करना है ना ? फिर हम फेसबुक को दोष क्यों दे ?....
जीवन में जब कोई कमजोरी बनने लगे तो उस कमजोरी को अपनी ताकत बना लो....सामंजस्य और समझदारी से जीवन को संतुलित .....करने में कुछ कष्ट होता जरुर है.........पर आवश्यक भी है यह ....किसी अच्छे दोस्त को खो देने का गम भी होता है ...और कभी अच्छे और सच्चे दोस्त के मिलने कि ख़ुशी भी......
हकीकत तो ये है कि जिन्दगी काँटों क़ी राह है...जहा कदम कदम पर कठिन परीक्षा के अवसर आते है..परिस्थितियां हमे कई दोराहे में ला पटकती है .....हम दुविधा में होते है कि चयन किस राह की करे ..कदम किस और बढ़ाएं... दिल और दिमाग की निरंतर लड़ाई चलती है ..........कभी हम परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते है ...और कभी उन परिस्थितियों को जीत लेते है...........पर दोनों ही स्थिति में क्या हम खुश रह पाते है .
सच तो यह है की हम एक मशीन बन गये है ..जहा सभी को हमसे ढेर सारी अपेक्षाएं है....हम जब तक घर परिवार की उम्मीदों को पूरा करते रहते है .......हम बहुत अच्छे है...पर ...हम जरा सा खुश होने का प्रयास करे तो वह कई लोंगो को नागवार गुजरता है .............एक मशीन हंस कैसे सकता है ...खुश रहने का अधिकार किसने दिया उसे ...........उसे खुश रखने वाला गुनाहगार कौन है ...........खुश रहने की उसकी सजा क्या हो? कई प्रश्नचिन्ह थोप दिए जाते है उस पर ..............
युग बदल जाये ........तारीखे बदल जाये ...पर मानसिकता अभी भी वही..
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माना की यह शब्द पूर्ण रूप से मेरे द्वारा नहीं लिखे गए हैं लेकिन यह लेख मेरी ओर से बी शामिल है ....#आर्यन #ARyan
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